तो दोस्तों, आज के इस आर्टिकल में हम जानने वाले है, की तारे रात में क्यों टिमटिमाते हैं। चमकते तो सभी तारे हैं, लेकिन रात में टिमटिमाते क्यों है? तो दोस्तों इसके लिए हमारे पृथ्वी का वायुमंडल जिम्मेदार हैं। तो आज के इस आर्टिकल में ने आपको एकदम सरल शब्दों में समझाया है, की तारे क्यों टिमटिमाते हैं। तो पूरा आर्टिकल जरूर पढ़िए।

तो दोस्तों, में कमाल की बात बताना चाहूंगा, कि जिस दिन ठंडी ज्यादा होती है, उस दिन तारे ज्यादा टिमटिमाते हैं। ऐसा क्यों होता है, इसके बारे में हम आर्टिकल के अंत में जानेंगे, क्योंकि पहले अगर आपको टीमटीमाने का कारण पता चल गया, तो आप वह आसानी से समझ जाओगे। तो चलिए सबसे पहले उसके बारे में जानते हैं।
दोस्तों, यहां पर सबसे मुख्य किरदार अदा करता है, हमारा वातावरण, हमारा जो वातावरण होता है, उसमें कई प्रकार की गैस से भरी होती है। और उसी के कारण तारे टिमटिमाते हैं। दोस्तों पहले तो आप यह जान लीजिए, की हर तारा चमकता है। लेकिन हर तारा टीमटीमाता नहीं है।
हमारे वातावरण में, नाइट्रोजन, ऑक्सीजन, कार्बन डाइऑक्साइड और कहीं सारी नोबल गैसेस यानी (अक्रिय) इनर्ट गैसेस होती है। तो इसमें से सबसे ज्यादा वजन होता है, ऑक्सीजन का, क्योंकि ऑक्सीजन में सबसे ज्यादा प्रोटॉन होते हैं। और उसके बाद नाइट्रोजन। तो इसी कारण ऑक्सीजन नाइट्रोजन के मुकाबले जमीन की ज्यादा पास होती है। और जितनी भी हल्की गैस है, जैसा कि हाइड्रोजन, उनमें सिर्फ एक प्रोटोन होता है, इसी कारण वह सबसे हल्की होती है, और सबसे ऊपर होती है। और इन वातावरण की परतों में, तापमान का भी मुख्य किरदार होता है।

इसके कारण हमारे वातावरण में कई सारी परतें बन जाती है, और इन्हीं परतों के कारण तारे टिमटिमाते हैं। आइए अब जानते हैं, वह कैसे होता है। तो दोस्तों इसके लिए हमें सबसे पहले, लाइट के अपवर्तन यानी रेफ़्रेक्शन, के बारे में जानना होगा। आइए उसके बारे में जानते हैं। तो दोस्तों, लाइट जब भी किसी एक माध्यम यानी मीडियम से दूसरे माध्यम में जाती है। तब वह अपने पुराने रास्ते से, भटक कर अपना रास्ता तेढा करती है। इसे ही अपवर्तन कहते हैं। तो दोस्तों, इसका मैं आपको एक उदाहरण दूं तो, आपको आसानी से समझ आ जाएगा। जब भी आप अपना हाथ, पानी से भरी बाल्टी में डालते हैं, तब आपका हाथ आपको टेढ़ा दिखता है, वह इसी के कारण होता है। आइए अब जानते हैं, कि यह हमारे वातावरण पर कैसे लागू होता है।

तो दोस्तों, जैसा कि मैंने आपको बताया, हमारे वातावरण की बहुत सारी परतें होती है, तो जब लाइट की किरण किसी तारे से निकलकर, हमारे वातावरण में पहुंचती है, तब वह लाइट की किरण, अलग-अलग परतो में से गुजरती है, जिसके कारण वह अपने पुराने रास्ते से भटक जाती है। और लाइट की किरण बहुत सारी परतो से गुजरने के कारण पूरी तरह से भटक जाती है। और हमारे वातावरण में तापमान बदलता रहता है, और गैसों का घनत्व यानी डेंसिटी भी बदलती रहती है, जिसके कारण गैस की परतें ऊपर नीचे होती रहती है, और लाइट कभी ज्यादा भटकती है, तो कभी कम, और इस कम ज्यादा के चक्कर में, लाइट बार-बार ऊपर नीचे से भटकने के कारण, हमारी आंखों में, बड़े नाटकीय तरीके से आती है, जिसके कारण सितारे रात में चमकते हैं।
जैसा कि मैंने आपको आर्टिकल की शुरुआत में बताया था, की ठंडी के दिनों में सितारे ज्यादा चमकते हैं।
तो दोस्तों, ठंडी के दिनों में, धरती का तापमान कम होता है, जिसके कारण धरती के पास वाला वातावरण ज्यादा ठंडा होता है, धरती के ऊपर के वातावरण के तुलना में, और जब भी लाइट किसी गरम से ठंडी जगह में जाती है, तो वह कम घनत्व से ज्यादा घनत्व की और बढ़ती है। जिसके कारण वह अपने रास्ते से ज्यादा भटकती है। और इसी कारण सितारे ठंड के दिनों में ज्यादा चमकते हैं। और गर्मी के दिनों में इससे ठीक उल्टा होता है, जिसके कारण हमें मीराज दिखाई देता है। उसके बारे में और आर्टिकल जानेंगे।
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