बादल क्यों फटते हैं?(cloudburst in hindi)

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नमस्कार दोस्तों मैं अंकुर श्रीवास्तव हाजिर हूं एक और नये आर्टिकल के साथ। दोस्तों आसमान में मंडराते हुए काले बादल कभी कभी हल्की फुल्की बारिश के साथ बहुत ही मनमोहक वातावरण बनाते हैं और कभी कभी यह बादल बहुत तेज हवा और जोरदार बारिश बारिश के साथ बरसते हैं जिससे कि माहौल थोड़ा सा डरावना लगने लगता है।

अगर बादल ना हो तो यह हमारी धरती के लिए बिल्कुल भी अच्छा नहीं होगा। हमारी धरती पर बारिश के कारण ही यहां पर जीवन संतुलित रहता है लेकिन कभी कभी यह बादल अपना भयानक रूप दिखाते हैं जिससे कि बहुत ही ज्यादा तबाही होती है। आज के इस आर्टिकल में हम जानेंगे कि आखिर बादल बनते कैसे हैं और वह क्या कारण है जिसकी वजह से बादल फट जाते हैं और इतनी विनाशकारी स्थिति को जन्म देते हैं।

बादल कैसे बनते हैं?

समुद्री नदियों तालाबों झीलों का पानी सूर्य की किरणों से गर्म होकर जलवाष्प के रूप में ऊपर उठता है, ऊपर आसमान में तापमान बहुत कम होता है जिसके कारण यह जलवाष्प पानी या बर्फ की छोटी-छोटी बूंदों में बदल जाता है यह बूंदे हवा में मौजूद छोटे-छोटे कणों से चिपक जाती हैं ऐसे ही और अरबों बूंदे चिपक कर एक बादल का निर्माण करती हैं जब इन बूंदो का वजन ज्यादा हो जाता है तो यह बूंदें आसमान से जमीन पर बारिश के रूप में गिरने लगती हैं। आसान भाषा में कहा जाये तो वायुमंडल में पानी और बर्फ के कण आपस में मिल जाते हैं और आसमान में दृश्यमान हो जाते हैं तो ऐसे में इन्हें बादल कहा जाता है। बादल बनने में कुछ मिनट से लेकर कुछ घंटों का समय भी लग सकता है।

बादलों का फटना

आपने टीवी इंटरनेट आदि पर कई बार बादल फटने की खबर सुनी होगी। बादलों के फटने से बहुत बड़ी मात्रा में नुकसान होता है किसी बादल का पानी धीरे-धीरे बूंदों के रूप में ना बरसकर एक साथ बहुत बड़ी मात्रा में बरस जाता है और यह पानी जमीन पर आकर बाढ़ का रूप ले लेता है इससे बहुत ज्यादा तबाही होती है और इसे ही मेघविस्फोट या बादल का फटना कहते हैं।

आइए जानते हैं कि बादल फटते कैसे हैं। ऐसे बादल जिनमें बड़ी मात्रा में पानी होता है जब यह बादल आसमान में चलते हैं और इनकी राह में अचानक कोई बाधा आ जाती है तो ये अचानक फट जाते हैं। ऐसी घटनाएं पहाड़ी इलाकों में ज्यादा होती हैं जब नीचे की हवा पहाड़ों के माध्यम से ऊपर चढ़ती है और बादल भी ऊपर उठते हैं तब ऊपरी हवा के दबाव और ठंड की वजह से बादल बहुत ही घने हो जाते हैं। और पहाड़ के माध्यम से ऊपर उठ रही हवा बादलों को बरसने नहीं देती इस वजह से बादलों के अंदर पानी इकट्ठा हो जाता है ऊपर तापमान कम होने की वजह से यह पानी बर्फ में बदल जाता है और इससे बादल का घनत्व भी बहुत ज्यादा हो जाता है और बादल बहुत भारी हो जाता है इस वजह से बादल फट जाता है और उसका पानी एक साथ धरती पर गिर पड़ता है। यह पानी 100 मिलीमीटर प्रति घंटे की दर से धरती पर गिरता है। जब साधारण बारिश होती है तो उस बारिश के पानी को धरती धीरे-धीरे अपने अंदर सोख लेती है। लेकिन बादल फटते समय जब सारा पानी एक साथ धरती पर गिर जाता है तो उसे धरती अपने में सोख नहीं पाती और वह पानी धरती पर ही बहने लगता है जिससे वहां बाढ़ जैसी स्थिति पैदा हो जाती है उस पानी की वजह से सब कुछ बह जाता है और जान माल की बहुत हानि होती है। बादल फटने से बहुत तबाही होती है ऐसी ही तबाही 2013 में केदारनाथ में हुई थी जहां पर बादल फटने की वजह से बहुत सारा पानी जमीन पर गिर गया था और उस पानी में मजबूत मकान भी ताश के पत्तों की तरह बह गए थे।

बादलों के बारे में कुछ रोचक बातें।

1. जमीन से देखने पर हमे ऐसा लगता है कि बादल बहुत हल्के होते हैं, इनमें वजन बहुत कम होता है। लेकिन असल में बादल का वजन 100 हाथियों के बराबर होता है जो कि लगभग 500000 किलोग्राम है।

2. बादल 1 सेकेंड में करीब 146 फीट की दूरी तय कर सकते हैं मतलब कि एक बादल को दिल्ली से मुंबई तक की दूरी तय करने में लगभग 9 घंटे लगेंगे।

3. धुंध जो कि जमीन के बहुत करीब होती है यह भी एक प्रकार का बादल ही है।

4. बादल सिर्फ हमारी पृथ्वी पर ही नहीं पाए जाते जिस ग्रह पर वातावरण है वहां पर बादल होंगे। लेकिन हां सभी ग्रहों पर पानी के बादल हों ऐसा जरूरी नहीं शुक्र ग्रह पर सल्फर ऑक्साइड के बादल पाए जाते हैं और शनि और बृहस्पति ग्रह पर अमोनिया के बादल पाए जाते हैं।

तो दोस्तों इस आर्टिकल में हमने जाना कि बादल कैसे फटते हैं और उनके बारे में कुछ रोचक बातें भी हमने इस आर्टिकल में जानीं। अगर आपको ये आर्टिकल पसंद आया है तो प्लीज इसको अपने मित्रों के साथ शेयर जरूर कीजिए। मै अंकुर श्रीवास्तव कल मिलता हूं आपको एक और नये आर्टिकल के साथ।