तो दोस्तों नमस्कार, अगर आप हमारे आर्टिकलस पहले से पढ़ते आ रहे है तो, वैक्लम बैक और अगर पहेली बार पढ़ रहे है, तो वेलकम। तो दोस्तों आज के इस आर्टिकल में हम जानेंगे की क्यों, वैज्ञानिको को लगता है, हमारा ब्रह्मांड फेल रहा है। तो दोस्तों यह एक बहोत ही, अहम आर्टिकल है,और हमारा ब्रह्मांड फेल रहा है, एक मुख्य खोज है।
तो दोस्तों इस आर्टिकल में मैंने आप को एकदम सरल शब्दों के साथ, बहुत ही कठिन कठिन बातें एकदम आसानी से समझाइए है।
तो दोस्तों जब “अल्बर्ट आइंस्टाइन” ने अपनी थ्योरी पूरी दुनिया के सामने रखी, तो उनके थ्योरी, अनुसार हमारा ब्रह्मांड फैल रहा है, या फिर सिकुड़ रहा है। उन्हें और पूरे दुनिया के, वैज्ञानिकों को अब यह साबित करना था, कि यह कैसे मुमकिन है।
आइए तो सबसे पहले जानते है, की हमें कैसे पता चला, की हमारा ब्राह्मंड फेल रहा है। “एडविन हबल” नामक एक बहोत महान खगोलशास्त्री, ने पहेली बार दर्शयता था, की सिर्फ “मिल्की वे” ही हमारे ब्रह्मांड की एक लोती गैलेक्सी नही है, बल्कि हमारा ब्रह्मांड भरा पड़ा है, ऐसी अरबो गलैक्सयो से। और उन्होंने एक बार एक ऐसे तारे को देखा था, जो “एंड्रोमेडा” गैलेक्सी का था, लेकिन उन्हें पता नही था, लेकिन जब उन्होंने उसका अध्यन किया तो, उन्हें पता चला की ये सितारा तो 25 लाख लाइट ईयर से भी ज्यादा दूर है।( एक लाइट ईयर यानी, एक साल में लाइट कितना सफर करती है, जो होता है, 946 खऱब किलोमीटर)।

तो उस सितारे को देखकर उन्हें पता चला की, ये सितारा तो, किसी और गैलेक्सी का है। फिर उन्होंने बताया पूरी दुनिया को की हमारे ब्राह्मंड में एक और गैलेक्सी है। और पलक झपक तेहि हमारा ब्रह्मांड कई गुना बड़ा बन गया। फिर और खागॉलशास्ररईओ ने ऐसी और गैलेक्सी की खोज की, और खुद एडविन हबल ने ही कई सारी गैलेक्सी की खोज की। फिर हमें पता चला की हमारे ब्रह्मांड में ऐसी अरबो गैलेक्सी मौजूद है।
फिर एडविन हबल ने ही, बताया कई सारी गैलेक्सी का अध्यन करके की, ये सारी गैलेक्सी तो हमसे दूर जारी रही है। और इनके दूर जाने की गति, बढ़ती ही जा रही है। लेकिन हम पूरी दावे से यह नही कह सकते थे, की हमारा ब्रह्मांड फेल रहा है। यह गैलेक्सी हमसे दूर तो जाह रही थी, लेकिन हमारे पास इसका कोई सबूत नही था।

अब याहपे, काम आता है, “डॉपलर इफेक्ट”, तो दोस्तों आइए जानते हैं, क्या होता है यह डॉप्लर इफेक्ट। तो दोस्तों एडविन हबल ने जितनी भी, गैलेक्सी की लाइट यानी रोशनी आ रही थी, उनका एक इलेक्ट्रोमैग्नेटिक स्पेक्ट्रम बनाया था। तो दोस्तों, “इलेक्ट्रोमैग्नेटिक स्पेक्ट्रम” क्या होता है? आइए इसके बारे में जानते हैं।

तो दोस्तों इलेक्ट्रोमैटिक स्पेक्ट्रम का अर्थ होता है, जो प्रकाश यानी लाइट है, उसकी फ्रीक्वेंसी यानी आवृत्ति का माप या स्तर। यानी हम यह कह सकते हैं, यह एक तरह की स्केल है, जो लाइट की आवृत्ति यानी फ्रीक्वेंसी बताती है। इस स्केल पर, जो प्रकाश का रेडिएशन है, वह जितना कम होगा, और जिसकी फ्रीक्वेंसी जितनी कम होती है, वह स्केल पर उतना ही नीचे होगा। यहां पर आप इस तस्वीर में देख सकते हैं। और जिस की फ्रीक्वेंसी यानी आवृत्ति जितनी ज्यादा होगी वह उतना ऊपर होगा। “रेडियो वेव” की फ्रीक्वेंसी सबसे कम होती है, और “गेमा रेंज” की सबसे ज्यादा होती है। तो दोस्तों मुझे पूरी उम्मीद है, की आप इलेक्ट्रोमैटिक स्पेक्ट्रम के बारे में अच्छी तरह से जान गए होंगे। अब यह जानते हैं, कि एडविन हबल ने इसका उपयोग कैसे किया। उसके पहले यह जानते हैं कि इस “डॉपलर इफेक्ट” क्यों कहा जाता है।

तो दोस्तों एक वैज्ञानिक जिनका नाम था, “जोहेन्स डॉप्लर” उन्होंने इलेक्ट्रोमैग्नेटिक स्पेक्ट्रम के ऊपर एक बहुत ही मुख्य खोज की थी, उन्होंने यह कहा था की कोई वस्तु जो हमसे दूर जा रही है, उसमें से जो प्रकाश टकराकर निकल रहा है, उस की फ्रीक्वेंसी हमें कम होती हुई दिखाई देगी। जिसे कहते हैं, “रेड शिफ्ट”। तो दोस्तों, इसका मतलब यह होता है, जो वस्तु हमसे जितनी दूर जाएगी उसकि फ्रिकवेंसी उतनी ही कम होगी और उसका कलर यानी रंग लाल होता जाएगा। और जो वस्तु हमारे पास आएंगी वहां निली होती हुई दिखाई देगी और उसकी फ्रीक्वेंसी बढ़ेगी, जिसे उन्होंने कहा “ब्लू शिफ्ट”।

तो दोस्तों, एडविन हबल ने “डॉपलर इफेक्ट” का इस्तेमाल करते हुए, यह देखा की हमारे ब्रह्मांड में जितनी भी गैलेक्सी है, जो हमसे दूर है वह लाल होती जा रही है। और यह बात दावे से कह सकते थे, कि हमारा ब्रह्मांड फैल रहा है। और जो गैलेक्सी हमें लाल रंग में नजर आ रही है, वह हमसे दूर जा रही है। क्योंकि ब्रह्मांड हर जगह से अनायासी फैलता है, यानी हर जगह से निरंतर एक समान रूप से फैलता है। जिसे कारण यहां गैलेक्सी हमसे दूर जा रही हैं। और जो गैलेक्सी हमें नीले रंग में दिखाई देती है, वह एक दिन हमसे टकराने की आशंका है। तो दोस्तों इस प्रकार हम यह कह सकते हैं, कि हमारा ब्रह्मांड फैल रहा है।

तो दोस्तों, अब यह जानते हैं, की जो लाइट दूर की गैलेक्सी से आ रही है, वह लाल रंग क्यों बदल जाती है। तो दोस्तों, जो नॉर्मल प्रकाश होता है, उस की फ्रीक्वेंसी को हमारी आंखें देख सकती हैं। और जो तरंग यानी फ्रीक्वेंसी की लाइट उन गैलेक्सीयो से आ रही हैं, जाहिर सी बात है कोई ना कोई फ्रिकवेंसी जरूर होगी। लेकिन वह प्रकाश अब तक पहुंचते-पहुंचते फैल जाता है, और उनके बीच का तरंग धैर्य यानी फ्रीक्वेंसी, भी फैल जाती है। और जैसा कि मैंने आपको बताया, कि अगर फ्रीक्वेंसी फैल जाती है, तो उसका रंग भी बदल जाता है। और इन गैलेक्सीओं से निकलने वाला प्रकाश लाल रंग में परिवर्तन हो जाता है, इसे हम यहां दावे से कह सकते हैं, कि यह गैलेक्सी हमसे दूर जा रही है, और हमारा ब्रह्मांड फैल रहा है। दोस्तों यह सारी बातों से हम यह दावे से कह सकते हैं, कि हमारा ब्रह्मांड फैल रहा।
तो दोस्तों इस आर्टिकल में मैंने एकदम सरल शब्दों के साथ, आपको बहुत ही कठिन कठिन लगने वाली बातें एकदम आसानी से समझाई है।
तो दोस्तों, अगर आप अपनी ज्ञान की सीमा को और बढ़ाना चाहते हैं, सामान्य ज्ञान को जानने में रुचि रखते हैं, तो आप हमारी, वेबसाइट को फॉलो कर सकते हैं। यहां पर आपको आपकी पसंद के हर एक विषय पर आर्टिकल मिलेंगे। तो जरूर से फॉलो करें। पढ़ने के लिए धन्यवाद। briefingpedia.com