आधुनिक तकनीक के आधार पर आज हम अपने सौरमंडल के बाहर भी अनेकों तारों और ग्रहों की खोज करते जा रहे हैं| विज्ञान में लगातार हो रहे विस्तार से हम इस ब्रह्मांड के सबसे बड़े प्रश्न कि “क्या हम इस ब्रह्मांड में अकेले हैं” उसकी ओर लगातार बढ़ते जा रहे हैं| जैसा कि हम जानते हैं कि बिल्कुल हमारे जैसा जीवन उन्हीं परिस्थितियों में पनप सकता है जैसी परिस्थितियां हमारी पृथ्वी पर मौजूद हैं, तो इसलिए हम जीवन की खोज के लिए उन ग्रहों पर ज्यादा ध्यान केंद्रित करते हैं जो कि अपने तारे के हैबिटेबल जोन (Habitable Zone) में होते हैं| हैबिटेबल जोन तारे के आसपास के उस इलाके को कहा जाता है यहां का तापमान इतना होता है कि वहां पर पानी तरल रूप में मौजूद रह सके|और यहां तारीफ करनी होगी हमारी आधुनिक तकनीक की जिसकी सहायता से हमने अपने सौरमंडल के बाहर भी अनेकों को ऐसे ग्रहों को खोज निकाला है जो कि अपने तारे के हैबिटेबल जोन में है|
अनुक्रम
क्या हैबिटेबल जोन में होता है जीवन
अगर कोई ग्रह अपने तारे के हैबिटेबल जोन में है तो इसका मतलब यह है कि वहां जीवन के होने की संभावना काफी ज्यादा बढ़ जाती है, लेकिन हम पूरी तरह से यह नहीं कह सकते कि वहां पर जीवन पनप रहा होगा|हां इतना तो है कि अगर हैबिटेबल जोन में कोई ग्रह है और उस ग्रह पर पानी है तो वह पानी तरल रूप में हमें पक्के तौर पर वह मिलेगा|
अध्ययन में निकलकर आया सच
लेकिन अगर हम बात करते हैं कि अगर एक ग्रह हमने ऐसा ढूंढ लिया है जो कि पक्के तौर पर हमारे आसपास के किसी तारे के हैबिटेबल जोन में है|तो हम यह कदम कभी नहीं उठा सकते कि हम बिना जांच-पड़ताल किए वहां की ओर रवाना हो जाएं, वहां पर बसने के लिए|क्योंकि हाल ही में किये गये अध्ययन में पता चला है कि हैबिटेबल जोन में होने के बावजूद भी अनेकों संभावनाएं ऐसी हैं कि वहां पर किसी भी हालत में जीवन मौजूद नहीं हो सकता यह हम उस जगह पर नहीं रह सकते|
तारा नष्ट कर देता है जीवन
जो ग्रह अपने तारे के बेहद से ज्यादा करीब होते हैं वहां पर जीवन होने की संभावनाएं बहुत कम हो जाती हैं फिर चाहे वह ग्रह हैबिटेबल जोन में ही क्यों ना हो|वहां पर जीवन ना के बराबर होने की संभावना इसलिए है क्योंकि उस तारे से निकलने वाले रेडिएशन ब्रस्ट (Radiation Burst) यानी कि उस तारे से निकलने वाले सौर तूफान वहां पर जीवन को पनपने ही नहीं देते|सौर तूफान वहां का रेडिएशन इतना स्तर इतना ज्यादा बढ़ा देते हैं कि उस ग्रह पर जीवन की संभावनाओं के बावजूद भी वो ग्रह हमारे सौर मंडल के शुक्र ग्रह जैसा गर्म और नर्क जैसा बन जाता है|

NYUAD Center for Space Science Research Scientist Dimitra Atri में किए गए एक अध्ययन के अनुसार हैबिटेबल जोन में होने के बावजूद भी कुछ ग्रह जीवन को बरकरार नहीं रख पाते क्योंकि जो ग्रह अपने तारे के बेहद नजदीक होते हैं उनका वातावरण तारे से आने वाले रेडिएशन से भरा होता है| फिर चाहे उस ग्रह पर बेहद ही अच्छा वातावरण हो और बेहद अच्छा मैग्नेटिक फील्ड की क्यों ना हो वहां जीवन की सम्भावना ना के बराबर रह जाती है|वहीं अगर बात करें दूर के ग्रहों की जो अपने तारे से काफी ज्यादा दूरी पर है और हैबिटेबल जोन में भी आते हैं तो वहां पर संभावनाएं हैं कि जीवन वहां पर फल-फूल रहा होगा
क्यों बढ़ जाता है खतरा
स्टडी में यह पता लगाया गया कि ग्रहों का वातावरण और उनका मैग्नेटिक फील्ड जो कि उन्हें अपने तारे से आने वाले किसी भी खतरे से बचाए रखता है वह भी एक तय सीमा तक ही काम कर पाते हैं अगर कोई ग्रह तारे के बेहद ही ज्यादा नजदीक है तो ग्रह का वातावरण और मैग्नेटिक फील्ड इतने कमजोर हो जाएंगे कि वो तारे से आने वाली विपदा को अपनी पूरी ताकत के साथ नहीं रोक सकते
एक चीज बचा सकती है नजदीकी ग्रहों पर जीवन
तारे से आने वाले और तूफान अचानक ही ग्रहों पर रेडिएशन की मात्रा बढ़ा देते हैं जिससे वहां पर जीवन के लिए संभावनाएं लगातार कम होती जाती है|लेकिन यहां पर कुछ और फैक्टर्स है जो किसी ग्रह को इस विपदा से बचा सकते हैं और वो मुख्य फैक्टर है किसी ग्रह के वातावरण की गहराई|मतलब यह कि जिस ग्रह का वातावरण मोटा होगा यानी कि जिस ग्रह के वातावरण की गहराई ज्यादा होगी उसे भेदने में रेडिएशन को उतना ही ज्यादा ताकतवर होना पड़ेगा| तो यह एक कारण हो सकता है कि तारों के नजदीक के ग्रहों पर भी हमें आश्चर्यजनक रूप से जीवन मिल जाए लेकिन इसकी संभावना बेहद ही ज्यादा कम है|
सारांश
फिलहाल के लिए हम जीवन को ढूंढने के लिए हैबिटेबल जोन का सहारा ले रहे हैं लेकिन हमें यह पक्के तौर पर पता करना होगा किसी तारे पर होने वाले सोलर इवेंट, ग्रह की तारे से दूरी, और उस ग्रह पर जीवन का मौजूद होना इन सब बातों में क्या संबंध है| अगर हम इस बात का पता लगा लेते हैं तो हमें नहीं लगता कि आपको प्रश्न का उत्तर जल्द ही ढूंढ लेंगे जिसे हम ब्रह्मांड का सबसे बड़ा प्रश्न मानते आए हैं आखिर क्या हम इस ब्रह्मांड में अकेले हैं या फिर हमारे जैसे अनेकों परग्रही इस ब्रह्मांड में बिल्कुल हमारी ही तरह इसी प्रश्न का उत्तर ढूंढ रहे हैं|