नमस्कार दोस्तों मैं अंकुर श्रीवास्तव हाजिर हूं आपके सामने एक और नये आर्टिकल के साथ। दोस्तों गणित एक बहुत ही रोचक विषय है। विज्ञान की चाहे कोई भी शाखा हो गणित के बिना अधूरी है खासकर भौतिकविज्ञान तो गणित के जरिए ही पढ़ा जाता है। यह कहना गलत नहीं होगा कि गणित भौतिकी की भाषा है। गणित के इस विशाल महासागर में कई गणितज्ञों ने अपना योगदान दिया है और बात की जाए भारत की तो भारत का गणित के क्षेत्र में अपना एक बहुत बड़ा योगदान है। भारत की इस भूमि पर कई महान गणितज्ञों ने जन्म लिया है। इसमें कोई संदेह नहीं कि गणित की शुरुआत भारत में प्राचीन काल में ही हो चुकी थी। प्राचीन काल में ही भारत ने दुनिया को शून्य(0) नाम का एक बहुमूल्य उपहार दिया जिसकी वजह से पूरी दुनिया ने गणना करना सीखा। प्राचीन भारत हो या आधुनिक भारत यहां पर हमेशा ही महान गणितज्ञों ने जन्म लिया है आइए बात करते हैं भारत के कुछ महान गणितज्ञों के बारे में।
अनुक्रम
1.आर्यभट्ट
आप भारत के आर्यभट्ट के बारे में तो शायद ही कोई हो जो ना जानता हो। जब भी भारतीय गणितज्ञों की बात होती है तो इनका नाम सबसे पहले आता है। इसलिए हमने भी इनको सबसे पहले नंबर पर रखा है। आर्यभट्ट का जन्म लगभग 476 ईसवी के करीब माना जाता है आर्यभट्ट का भारतीय गणित में अपना एक बहुत बड़ा योगदान है आर्यभट्ट वो पहले व्यक्ति थे जिन्होंने यह बताया कि पृथ्वी अपनी धुरी पर घूमती है, उन्होंने सूर्य ग्रहण और चंद्र ग्रहण को लेकर जो अंधविश्वास थे उनको भी दूर किया। गणित के क्षेत्र में उनका सबसे बड़ा योगदान है 0(शून्य) की खोज। शून्य की खोज की वजह से ही आज विज्ञान और गणित विकास हुआ है। उन्होंने गणित के कई ग्रंथों की रचना की जैसे कि दशगीतिका, आर्यभटीय और तंत्र। आर्यभटीय ग्रंथ इनमें सबसे प्रमुख है आर्यभटीय ग्रंथ को 4 अध्यायों में विभाजित किया गया है 1.गीतिकपाद 2.गणितपाद 3.कालक्रियापाद 4. गोलपाद। आर्यभट्ट ने खगोलविज्ञान, बीजगणित, त्रिकोणमिति आदि कई क्षेत्रों में अपना योगदान दिया है उनके नाम से भारत का पहला सेटेलाइट ‘आर्यभट्ट‘ लांच किया गया था।
2.भास्कराचार्य
आर्यभट्ट की तरह ही भास्कराचार्य भी भारत के सुप्रसिद्ध गणितज्ञ एवं खगोल शास्त्री थे। भास्कराचार्य का जन्म 1114 ईस्वी को विज्जडविड नामक गांव में हुआ था।भास्कराचार्य के पिता भी गणित के महान विद्वान थे। उनके पिता का नाम महेश्वराचार्य था। भास्कराचार्य को गणित की शिक्षा मुख्य रूप से उनके पिता से ही मिली थी। भास्कराचार्य ने सिद्धांत शिरोमणि और लीलावती जैसे ग्रंथों की रचना की। सिद्धांत शिरोमणि में पारीगणित, बीजगणित एवं गोलाध्याय आदि विषयों का वर्णन मिलता है वहीं लीलावती में खगोल विज्ञान का वर्णन किया गया है। आज के समय में गुरुत्वाकर्षण सिद्धांत की खोज का श्रेय मुख्य रूप से न्यूटन को दिया जाता है। लेकिन यह बात बहुत कम लोग जानते हैं कि न्यूटन से भी पहले भास्कराचार्य ने गुरुत्वाकर्षण को उजागर किया था। उन्होंने अपने ग्रंथ ‘सिद्धांतशिरोमणि’ में लिखा है कि ‘पृथ्वी आकाशीय पिंडों को एक विशिष्ट शक्ति से अपनी ओर खींचती है इस कारण से आकाशीय पिंड पृथ्वी पर गिरते हैं।’
3.श्रीनिवास रामानुजन
तीसरे नंबर पर जो व्यक्ति आते हैं उनको इस दुनिया के सबसे महान गणितज्ञों में से एक माना जाता है। इनका नाम है श्रीनिवास रामानुजन।
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श्रीनिवास रामानुजन का जन्म 22 दिसंबर 1887 को कोयंबटूर के ईरोड नामक गांव में हुआ था। वह बचपन से ही बहुत कुशाग्र बुद्धि थे। वे अपने टीचर से बहुत ही अजीब से सवाल करते थे जैसे कि धरती पर जन्म लेने वाला पहला व्यक्ति कौन था? और धरती और बादलों के बीच की दूरी कितनी होती है? उनको गणित इतना ज्यादा पसंद था कि उनका किसी और विषय में जरा भी मन नहीं लगता था। ये एक ऐसे गणितज्ञ थे जिनको गणित में कोई खास ट्रेनिंग नहीं मिली। लेकिन इसके बावजूद भी इन्होंने अपनी प्रतिभा का परिचय देते हुए गणित के क्षेत्र में कई बडी खोजें की और भारत को अतुलनीय गौरव प्रदान किया। उनके ऊपर एक हॉलीवुड मूवी भी बन चुकी है जिसका नाम है The man who knew infinity
4. वराहमिहिर
वराहमिहिर का जन्म उज्जैन में शिप्रा नदी के तट के निकट एक गांव में हुआ था। वराहमिहिर ने भी ज्योतिषी, गणित और खगोल विज्ञान के क्षेत्र में बहुत काम किया है। युवावस्था में वह अपने शोध के लिए पाटलिपुत्र आ गए यहां उन्होंने आर्यभट्ट से प्रेरित होकर खगोल विज्ञान और गणित में अपना शोध आरंभ किया। उस समय उज्जैन को विद्या का प्रमुख केंद्र माना जाता था और वराहमिहिर भी वापस इसी शहर में आकर बस गए वहां के राजा चंद्रगुप्त द्वितीय(विक्रमादित्य) को उनके बारे में पता चला तो उन्होंने वराहमिहिर को अपने दरबार के नवरत्नों में शामिल कर लिया उनकी कुछ पुस्तकों जैसे पंचसिद्धांतिका, बृहत्संहिता, बृहज्जात्क आदि की वजह से उनकी ख्याति और भी बढ़ने लगी उन्होंने त्रिकोणमिति के कुछ सूत्र भी प्रतिपादित किए। वराहमिहिर ने अंकगणित में भी बहुत काम किया उन्होंने 0 और ऋणात्मक संख्याओं के बीजगणितीय गुणों को परिभाषित किया।
तो मित्रों आज के इस आर्टिकल में हमने भारत के कुछ महान गणितज्ञों के बारे में जाना मैं।
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