तो दोस्तों यह एक बहुत ही कमाल का आर्टिकल हैं, क्योंकि मैंने आपको बहुत ही सरल शब्दों में भौतिकी के एक बहुत ही महान सिद्धांत के बारे में समझाया है, और वह भी इतनी सरल शब्दों में आपको इंटरनेट पर और कहीं नहीं मिलेगा। तो दोस्तों शुरू करते हैं, यह कमाल का आर्टिकल।
तो दोस्तों सामान्य सापेक्षता के सिद्धांत की खोज अल्बर्ट आइंस्टीन ने की थी, और उनकी यह खोज आगे जाके सच भी साबित हुई। तो आइए जानते हैं यह क्या थी। सबसे पहले मैं आपको सामान्य सापेक्षता के सिद्धांत के बारे में थोड़ा सा बता देता हूं, फिर इस आर्टिकल की शुरुआत करते हैं।
तो दोस्तों, इस सिद्धांत के अनुसार, स्पेस में कोई भी भारी चीज, स्पेस में एक तरह का गड्ढा कर देती है, या उसके आसपास की स्पेस को मोड़ देती है, जिसके कारण कोई भी चीज उसके आसपास आती है, तो उसमें गिरती चली जाती है, और उसे हम गुरुत्वाकर्षण बल कहते हैं। यहां पर आप इस तस्वीर में देख सकते हैं।

अब जानते हैं, सामान्य सापेक्षता के सिद्धांत के बारे में ( general theory of relativity). तो दोस्तों, आइंस्टाइन को किसी भी चीज को बारीकी से देखेंने के खुबी ने हि, इस महान सिद्धांत तक पहुंचाया। आइए इसके बारे में विस्तार से जानते हैं।
तो दोस्तों, में आपको हर एक चीज, उदाहरण के साथ समझूंगा, ताकि आपको एकदम आसानी से समझ में आए। तो दोस्तों, आप एक्सीलरेशन यानी त्वरन को तो जानते होंगे। जब भी आप किसी गाड़ी में बैठते हैं, तो जैसे ही, गाड़ी की स्पीड यानी वेग बढ़ती है, तो आप उसे महसूस कर सकते हैं, और हम उसे ही एक्सीलरेशन कहते हैं। लेकिन आप स्पीड को महसूस नहीं कर सकते। जब भी गाड़ी एक्सीलरेट की जाती है, आप एक फोर्स यानी बल पीछे की तरफ महसूस करते हैं, और जब गाड़ी को धीमा किया जाता है तब एक बल आगे की और महसूस होता है। लेकिन हम स्पीड को महसूस नहीं कर सकते, उदाहरण के तौर पर अगर मैं आपसे कहूं, की एक गाड़ी को 100 की स्पीड पर भगाया जाए, और आप गाड़ी के अंदर बैठे हो, सारे खिड़की दरवाजे बंद है, और आपको गाड़ी की आवाज सुनाई ना दे रही हो, और गाड़ी को बिल्कुल एक्सीलरेट या डीएक्सलरेट ना करें तो आप बता नहीं सकते की गाड़ी दौड़ रही है, या एक जगह रुकी हुई है। यानी इससे यह साबित होता है, कि हम एक्सीलरेशन को महसूस कर सकते हैं, लेकिन स्पीड को नहीं।


तो गुरुत्वाकर्षण में भी हमें एक खींच, नीचे की ओर महसूस होती है, इससे हम कह सकते हैं, गुरुत्वाकर्षण भी एक एक्सीलरेशन का ही एक प्रकार है। और जब भी हमें एक्सलरेशन मिलती है, तो कोई चीज हम पर बाहर से बल लगाती हैं, और गुरुत्वाकर्षण में भी यही होता है, यहां पर हम पर बल पृथ्वी लगाती है। तो आपको अभी थोड़ा-थोड़ा समझ में आ रहा होगा कि गुरुत्वाकर्षण क्या है। अब यह जानते हैं, कि इससे स्पेस कैसे मुड़ता है। और जो कुछ भी अक्सीलरेशन में लागू होता है, वो सारी बाते गुर्तुआकर्षण बल पर भी लाहु होंगी।
तो मान लीजिए, की दो डिब्बे हैं, दोनों में दो इंसान खड़े हैं। एक डिब्बे को किसी एक बड़े ग्रह के पास रखा गया है, और दूसरे को लगातार ऊपर ब्रह्मांड में एक्सलरेशन दी जा रही हो। तो अंदर के दोनों ही इंसान को, एक नीचे की ओर खींच महसूस होगी। क्योंकि जैसा कि मैंने ऊपर बताया, एक्शलरेशन और गुरुत्वाकर्षण में ज्यादा अंतर नहीं है। हम यह भी कह सकते हैं, एक तरह से दोनों समान हैं।

तो दोस्तों, यहां पर एक बहुत ही महत्वपूर्ण कंसेप्ट यानी संकल्पना आती है, मान लीजिए की डिब्बी में एक और से एक लाइट की किरण को छोड़ा जाता है, तो जो दूसरा डिब्बा है, उसमें जो लाइट की किरण है, वह डिब्बे के दूसरी साइड थोड़ी नीचे टकराएगी, क्योंकि जितनी देर में लाइट इस कोने से उस कोने तक जाती है तब तक डिब्बा थोड़ा ऊपर चला जाता है क्योंकि हम उस से एक्सीलरेट कर रहे हैं। जैसा कि मैंने आपको पहले बताया था। यहां पर आप इस चित्र में देख सकते हैं, की लाइट की किरण कैसे मूडती है। क्योंकि लाइट, ब्रह्मांड में हर बार सीधी रेखा में ही सफर करती है, और यहां पर डिब्बे का दूसरा कोना ऊपर जा रहा है, इसलिए वह हमें नीचे टकराते हुए दिखाई देती है।

लेकिन हम यहां पर पहले डिब्बे की बात करें तो, यहां पर भी लाइट मूड जाएगी, क्योंकि गुरुत्वाकर्षण बल और एक्सीलरेशन एक जैसे ही है। लेकिन यहां पर लाइट की किरण क्यों मुड़ेगी की, यहां पर तो डब्बा ऊपर जा ही नहीं रहा। तो यहां पर इसका उत्तर है, कि वहां का स्पेस ही मुड़ गया है। क्योंकि लाइट तो हमेशा सीधी जाती है, तो ब्रह्मांड लाइट के साथ कोई छेड़खानी नहीं करता। ब्रह्मांड अगर फट जाए, तूट जाए, मर जाए लेकिन लाइट के साथ कोई छेड़खानी नहीं करेगा। ब्रह्मांड चाहे तो समय के साथ या स्पेस के साथ छेड़खानी कर सकता है। समय के साथ कैसे करता है, यह किसी और आर्टिकल में जाएंगे।
तो यहां पर इसका उत्तर आता है, कि यहां का स्पेस ही मुड़ गया है। हमारे ब्रह्मांड में जिसके पास भी मास यानी वस्तुमान हो, ध्यान दीजिए यहां पर मैं वजन की बात नहीं कर रहा हूं, यहां पर मैं वस्तुमान कि या मास की बात कर रहा हूं, तो वह स्पेस को मोड़ सकता है। जो भी चीज इस उस मुड़े हुए स्पेस के अंदर जाती है, उसके अंदर गिरती चली जाती है, और एक समय पर उससे जाकर टकरा जाती है। तो कुछ इस प्रकार स्पेस मुड़ता है, और इसे ही हम गुरुत्वाकर्षण बंद कहते हैं। तो दोस्तों पूरे इंटरनेट पर, इस प्रकार आज तक किसी ने भी समझाया होगा, और वह भी इतने सरल शब्दों में। आपको यह आर्टिकल कैसा लगा कमेंट जरुर कीजिए और हमारी वेबसाइट के बाकी सारे आर्टिकल भी जरूर पढ़िए।
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