क्यों आइंस्टाइन को अब तक का सबसे महान वैज्ञानिक कहा जाता है? Why is Albert Einstein considered one of the greatest the scientist ever?

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तो दोस्तों मैंने आप को एकदम सरल शब्दों में समझाया है, और फिजिक्स यानी भौतिकी के एकदम महान सिद्धांतों को एकदम सरल भाषा में समझा है, और आप कुछ भी जानते नहीं होंगे, तभी मैं आपको पुरी तरह से समझ में आ जाएगा, यह पूरा आर्टिकल।

अल्बर्ट आइंस्टीन हमेशा से ही एक विचारशील व्यक्ति रहे हैं। उन्हें चीजों के बारे में सोचना अच्छा लगता था, जैसे कि हमें कोई काम करने की ऊर्जा कहां से आती है, हमारे ब्रह्मांड किस चीज से बना है। और भी बहुत कुछ। आइंस्टाइन ने सोचा कि जो न्यूटोनीयन मैकेनिक्स है, वह आगे भौतिक विज्ञान यानी फिजिक्स का बोझ नहीं संभाल पाएगी। इसलिए उन्होंने रिलेटिविटी यानी सापेक्षता का सिद्धांत दुनिया को दिया। और उनका एक सिद्धांत पूरी दुनिया का सबसे महान सिद्धार्थ माना जाता है, जो है , “E = Mc^2” इस सिद्धांत ने हमारी अपनी सोच को ही बदल दिया।

Albert Einstein photo
Albert Einstein

The Measure of Intelligence is Ability to change

Albert Einstein

आइंस्टाइन की आल्हा दिमाग ने यह सोचा की, जरूर उर्जा और द्रव्य यानी एनर्जी और मैटर का कोई ना कोई आपस में संबंध जरूर होगा। उन्होंने यह कहा की ऊर्जा और द्रव्य एक ही है, बस हमें अलग-अलग रूप में दिखाई देते हैं। उनके अनुसार ऊर्जा को द्रव्य में और द्रव्य को ऊर्जा में बदला जा सकता है। जैसे कि द्रव्य किसी सितारे के अंदर विलय यानी फ्यूज होकर, ऊर्जा में बदल जाता है, और ऊर्जा “ह्गिस फील्ड” से इंटरेक्ट करके यानी उससे परस प्रक्रिया कर द्रव्य में बदल जाती हैं।

और जैसा कि हम सब जानते हैं, किसी सिस्टम यानी प्रणाली थी पूरी ऊर्जा 0 नहीं हो सकती, और वही ऊर्जा द्रव्य में परिवर्तित होती हैं, और फिर वही द्रव्य ऊर्जा में परिवर्तित होता है। और इस प्रकार हमारा ब्रह्मांड काम करता है, और इसके लिए हमें किसी ईश्वर या भगवान की जरूरत नहीं। आप इससे यह अंदाजा लगा सकते हैं, कि यह सिद्धांत का महत्व का है। इसलिए इसे दुनिया का सबसे महान सिद्धांत कहा जाता है।

आइंस्टाइन ने यह भी बताया था, की समय धीमा हो सकता है। आइए यह जानते हैं कि यह कैसे मुमकिन है। तो दोस्तों एक दिन जब अल्बर्ट आइंस्टीन अपने काम पर जा रहे थे, जैसे कि वह एक क्लर्क नौकरी करते थे। तब उन्होंने अपने ट्रेन में से एक बड़ी घड़ी को देखा, और उनके दिमाग में ख्याल आया कि यहां घड़ी तो मुझे भूत काल का समय दिखा रही है, क्योंकि लाइट को उससे टकराकर मेरी आंखों में पहुंचने तक वक्त लगता है। और उन्हें अचानक से ख्याल आया, की ब्रह्मांड में हर घटना जो मुझे दिखाई देती है वहां पहले से ही भूतकाल में हो चुकी है। और उन्हें उसकी भूतकाल कि क्रिया दिखाई देती है।

और उस वक्त की एक और महान वैज्ञानिक “जेम्स क्लर्क मैक्सवेल” यह साबित कर दिया था, की लाइट की स्पीड हमेशा पूरे ब्रह्मांड में, चाहे कुछ भी हो जाए, हमारा ब्रह्मांड क्यों ना फट जाए, या हमारा ब्रह्मांड खत्म हो जाए और लेकिन लाइट की स्पीड हमेशा एक जैसी ही रहेगी। जो है, 2,99,338.37 km/s.

आइंस्टाइन को लाइट का जुनून था, जब उन्होंने उस घड़ी को देखा, और सोचा की इस घड़ी को मैं वर्तमान में कैसे देखूंगा, तो उन्हें जवाब मिला की, इसके लिए उन्हें लाइट की स्पीड से घड़ी तक पहुंचना होगा। क्योंकि जो चीज हम से कितनी दूर है, उसे अगर वर्तमान में देखना है, तो हमें उस चीज तक लाइट से पहुंचना पड़ेगा। और इसके कारण हमें लाइट की स्पीड दोगुनी लगेगी, लेकिन लाइट की स्पीड तो कभी कम होती नहीं है, वह हमेशा एक जैसी रहती हो। तो यहां पर किसी ना किसी को तो कम होना पड़ेगा। क्योंकि किसी चीज की अगर हम स्पीड यानी गति निकालते हैं, तो हम दूरी को टाइम से भाग यानी डिवाइड कर देते हैं। तो यहां पर दूरी तो इतनी ही रहेगी, और लाइट की स्पीड भी कभी कम नहीं होगी, यानी स्पीड भी कभी कम नहीं होती तो यहां पर टाइम को भी बदलना पड़ेगा। तो इस प्रकार आइंस्टाइन के आला दिमाग में सोचा कि, यहां पर टाइम को स्लो होना पड़ेगा। तो इस प्रकार हम दावे से कह सकते हैं, कि समय स्लो होता है।

दोस्तों इतना ही नहीं, आइंस्टाइन ने “ग्रेविटेशनल वेव्स” का भी पता लगाया था। उन्होंने यह कहा था, ग्रेविटेशनल वेव्स जैसी एक वेव होती है, जो हमेशा स्पेस में लाइट की स्पीड से गुजरती है। और जब 2015 हमें लाइगो ने ग्रेविटेशनल वेव्स को डिटेक्ट किया तो यह बात भी पूरी तरह से साबित हो गई। 2015 में दो छोटे ब्लैक होल आपस में टकराए और उनसे काफी मात्रा में ग्रेविटेशनल वेव्सी भी उत्पन्न हुई, जो यहां धरती तक पहुंच गई। और लाइगो ने उसे डिटेक्ट कर लिया। लाइगो का पूरा अर्थ है, LIGO(LASER INFROMETER GRADATIONAL WAVES OBSERVATORY). लाइगो एक परमाणु यानी एटम के प्रोटोन के, हजारवे भाग जितना अंतर भी आया तो पता, लगा लेता है।
यानी पृथ्वी पर कोई हल्की सी हल्की, ग्रेविटेशनल वेव्स आय तो, उसका पता लगा देता है।

 gravitational waves
Gravational Waves

अल्बर्ट आइंस्टीन को 1921 में “नोबेल प्राइस” से नवाजा गया, जो कि उन्हें “फोटोइलेक्ट्रिक इफेक्ट” के लिए मिला था। फोटोइलेक्ट्रिक इफेक्ट का अर्थ होता है, जब भी लाइट किसे मटेरियल से टकराया, तो जो द्रव्य में से यानि मैटर में से, इलेक्ट्रॉन नामक एक परमाणु का कण होता है, वह बाहर निकल जाए, तो उसे फोटो इलेक्ट्रॉन कहा जाता है। और यही होता है फोटोइलेक्ट्रिक इफेक्ट।

Photoelectric Effect

अल्बर्ट आइंस्टाइन के द्वारा की गई महान खोजें।

  1. सामान्य सापेक्षता general relativity
  2. विशेष सापेक्षता special relativity
  3. प्रकाश विद्युत प्रभाव Photoelectric effect
  4. E = mc2 (द्रव्यमान-ऊर्जा तुल्यता) energy mass equivalence
  5. E = hf (प्लैंक-आइंस्टीन संबंध) planck Einstein relation
  6. ब्राउनियन गति का सिद्धांत theory of Brownian motion motion
  7. आइंस्टीन फील्ड समीकरण Einstein field equations equation
  8. बोस-आइंस्टीन आँकड़े Bose Einstein statistics
  9. बोस-आइंस्टीन घनीभूत Bose Einstein condensate
  10. गुरुत्वाकर्षण तरंग Gravational Waves
  11. ब्रह्मांड संबंधी स्थिरांक cosmological constant
  12. एकीकृत क्षेत्र सिद्धांत unified field theory
  13. ईपीआर विरोधाभास EPR Paradox

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