नेपाल ने बनाया अपना एक नया नक्शा। आखिर क्यों भारत नेपाल के फैसले पर नाराज है? New Nepal map

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19 मई 2020 को नेपाल कैबिनेट मिनिस्टर्स ने जारी किया नेपाल का नया नक्शा, जिसमे कालापानी, लिपुलेख, लिम्पयाधुरा को नेपाल का हिस्सा बताया गया। नेपाल के कैबिनेट मिनिस्टर्स यह प्रस्ताव रखा है, की वह अपने देश के हिस्से को भारत से वापस लेगा। और इसके बारे में सबसे पहले नेपाल के फॉरेन मिनिस्टर ने कल रात यानी 18 मई को अपने ट्विटर अकाउंट पर बतायी। और 20 मई 2020 को नेपाल के प्राइम मिनिस्टर ने पार्लियामेंट में यह तक कह दिया की यह हिस्सा नेपाल का है, और हम इसे भारत ने वापस लाएंगे।

आखिर यह तकरार कैसे शुरू हुई?

आजसे 10 दिन पहले जब इंडियन बॉर्डर रोड्स आर्गेनाईजेशन ने “लिपुलेख पास” तक एक रोड बनाया। इसका मकसद यह था, की “कैलाश मांसोवर” तक जो तीर्थयात्री जाते है, उन्हें नेपाल से होकर जाना पड़ता है, या सिक्किम की और से पूरा घूम कर जाना पड़ता है, तो इसीलिए यह रास्ता एक शॉर्टकट के तौर पर बनाया गया है। जिससे तीर्थयात्रीयो के 3 दिन बच जाते है, और यह रास्ता सीधे लिपुलेख पास तक जाता है। और नेपाल सरकार इसीका विरोध करते हुए कह रही है, की भारत ने हमारी परमिशन लिए बिना यह सड़क बनायीं है, और अपना नया Nepal map भी जारी कर दिया।

भारत को इस फैसले पर क्या नुकसान होगा?

1962 के युद्ध के बाद से ही वह हिस्सा भारत का था, और वहां भारत की आर्मी भी तैनात है, और वह एक ऐसी जगह है, जिसकी बाउंड्री चीन से भी जुड़ती है, और इसीलिए इंडियन आर्मी वहां पर ख़ास चीन पर नजर रखने के लिए तैनात की है। और अगर वह हिस्सा अगर नेपाल का हो जाता है, तो वहां पर इंडियन आर्मी की पहुच असंभव जो जायेगी, इसी कारण भारत उस हिस्से को नही खोना चाहता।

क्या नेपाल इस हिस्से को लेकर ही छोड़ेगा?

नेपाल सरकार ने भारत के राजदूत (Ambassador) को बुलाकर कानूनी तौर पर इसका विरोध दर्ज कराया, और नेपाल के लोग काठमंडु के सकड़ो पर आकार विरोध करने लगे। और यह इलाका लागभह 600 स्क्वायर किलोमीटर का है, तो दोनों ही देश इसे नही छोड़ सकते। अब इसपर आगे भारत सरकार क्या निर्णय लेती है, इसकी खबर हम आप तक सबसे पहले पहुचाएंगे। तो आप हमारी वेबसाइट को जरूर फॉलो करे।

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