जन्माष्टमी क्यों मनाई जाती है?

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अनुक्रम

जन्माष्टमी क्यों मनाई जाती है?

जन्माष्टमी एक हिंदू त्यौहार है, जिसे रक्षाबंधन के आठवें दिवस पर भगवान श्री कृष्ण के जन्मदिन के तौर परीक्षा बनाया जाता है। जन्माष्टमी हिंदू महीने के अनुसार श्रावण में आती है, यानी ऑगस्ट या सितंबर में।

जन्माष्टमी पर किस प्रकार का उपवास रखा जाता है?

जन्माष्टमी पर हर हफ्ते रखे जाने वाले उपवास से विपरीत उपवास रखा जाता है, जैसे कि सिर्फ फल और साबूदाना और कुछ गिनी चुनी चीजें खाना हीं इस उपवास के लिए उचित होता है, इस पैराग्राफ के बाद आपको उन चीजों की लिस्ट मील जाएगी। लेकिन जो हर हफ्ते किया जाने वाला जो उपवास होता है, उसमें सिर्फ अनाज पर प्रतिबंध होता है, लेकिन जो जन्माष्टमी का उपवास होता है, उसमें सिर्फ फल और साबूदाना के अलावा बाकी कही सारी चीजों पर प्रतिबंध होता है।

जो हर हफ्ते किया जाने वाला उपवास होता है, उसे दिन भर करके रात को छोड़ दिया जाता है, यानी उपवास 1 दिन का होता है। लेकिन जो जन्माष्टमी में किया जाने वाला उपवास होता है, उसे रात को नहीं छोड़ते बल्कि दूसरे दिन दोपहर को छोड़ा जाता है। जन्माष्टमी का दिवस बाकी दिनों से खास होता है, इसीलिए यह उपवास लंबा किया जाता है।

जन्माष्टमी के उपवास पर खा सकने वाली चीजें:-

सिंघाड़ा शीरा।

फ़राली सिंघारा हलवा।

व्रत रेसिपी।

श्रीखंड, केसर इलाची श्रीखंड।

पीयूष, फरल पीयूष रेसिपी।

स्वीट कांड पुरी, महाराष्ट्रीयन उपवास रेसिपी।

केला और राजगिरा पुरी, उपमा रेसिपी।

लौकी की खीर, दूधी खीर रेसिपी।

फरियाली डोसा, फरल फूड्स रेसिपी।

फराली पट्टिस।

इसके अलावा भी कई सारी चीज खा सकते हैं लेकिन भी खाना उचित होगा।

आखिर  जन्माष्टमी 2 दिनों तक क्यो मनाईं जाती है?

जन्माष्टमी का त्योहार बाकी त्योहारों से थोड़ा अलग होता है, जन्माष्टमी के पहले दिन पर मंदिरों में पूजा होती है, लोग उपवास रखते हैं। पहले दिन पर भगवान श्री कृष्णा के जन्मदिन को काफी उत्साह के साथ मनाया जाता है। और जो दूसरा दिन होता है, वहां दही-हांडी के लिए जाना जाता है, इस दिन पर दही-हांडी फोड़ी जाती है, और कई जगह मेले और उत्सव होते हैं, यानी पहले दिन पूजा होती है और दूसरे दिन मजा। इसलिए जन्माष्टमी 2 दिनों की मनाई जाती है।

श्री कृष्ण आखिर नीले रंग के क्यों थे

जन्माष्टमी क्यों मनाई जाती है?
Janmashtami

जब श्री कृष्ण काफी छोटे थे, तब उन्होंने एक जहरीला दूध पिया था, जो एक राक्षस द्वारा दिया गया था, जिससे उनका रंग नीला पड़ गया और वह बचपन से लेकर अपनी पूरी जिंदगी तक शरीर का रंग नीला ही था।

काफी लोग यह भी मानते हैं, कि श्री कृष्णा और राम विष्णु के मुख्य अवतार थे, इसीलिए उन्हें नीला रंग मिला था, इन दोनों मान्यताओं पर से आपको जिस पर ज्यादा यकीन है, आप उसे मान सकते हो।

भगवान श्री कृष्णा लहसुन और प्याज क्यों नहीं खाते थे, और आपको जन्माष्टमी के उपवास पर उन्हें क्यों नहीं खाना चाहिए?

भगवान श्री कृष्ण के अनुसार लहसुन और प्याज इंसान को पागल बनाते हैं, और यह इंसान के लिए ज्यादा फायदेमंद नहीं है, और साथ ही भगवान श्री कृष्ण ने जानवर के मांस पर भी ऐसा ही कहा है, उन्होंने कहा है, कि मांस को भी इंसानों को खाने की जरूरत नहीं है, भले ही उसमें कुछ पोषण मिलते हैं, लेकिन फिर भी इंसान को मास नहीं खाना चाहिए। यह मान्यता सिर्फ भगवान श्री कृष्ण की नहीं है, बल्कि पूरे वेदिक कल्चर की है, और वेदिक कल्चर में मांस खाने पर निषेध यानी प्रतिबंध भी था।

यह था पूरा आर्टिकल जन्माष्टमी और उससे जुड़े कुछ रोचक सवालों के बारे में, अगर आपका कोई और सवाल हो, तो हमें कमैंट्स में जरूर बताये, आपको उसका जवाब कमेंट में ही मिल जाएगा। हम उम्मीद करते है, कि आपको आर्टिकल पसन्द आया होगा। अगर हाँ, तो आप इसको शेयर और कमेंट करे जिससे हमको ऐसे ही आर्टिकल लिखने का प्रोतसाहन मिले।

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आज के आर्टिकल मे बस इतना ही। आपसे मुलाक़ात होगी फिर किसी और रोमांचक टॉपिक के साथ। तब तक के लिये जय हिंद।

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