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पिछले संस्करण में हमने वर्ष 2020 के अमेरिकी राष्ट्रपति चुनावो की विस्तार से चर्चा की , अब बारी हैं भारतीय नज़रिए से दोनों ही उम्मीदवारो – “Donald Trump” और “जो बाइडन” के आंकलन की , विस्तृत जानकारी के लिए हमारी पूरी रिपोर्ट पढ़ें,
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Donald Trump की कोशिशें :

इस बात में कोई शक नही हैं कि Donald Trump के कार्यकाल में भारत और अमेरिका के आर्थिक और सामरिक सम्भनध बेहद ही मधुर रहे हैं, अब चाहे आप इसे Donald Trump और मोदी की अच्छी केमिस्ट्री कहे या फिर महज एक संयोग मात्र माने, परन्तु इस तरह की स्थिति भारत को बेहद ही फायदा दे रही हैं, हालांकि काफी हद तक अमेरिका का भारत की ओर आकर्षण वक्त की जरूरत भी हैं, चूंकि भारत एक उभरती आर्थिक शक्ति हैं, अमेरिका और यूरोप के कई देशों को भारत मे अपने विशाल आर्थिक बाजार नज़र आ रहे हैं ,
अगर हम दुनिया भर के आर्थिक मानचित्र पर रोशनी डाले तो हमे यह मालूम होगा कि एशिया की दो महाशक्तियां “भारत” और “चीन” अपने आप मे एक एक विशिष्टताए रखता हैं।
एक तरफ भारत पूरी दुनिया के लिए एक बहुत बड़ा खुला बाजार हैं, जहां व्यपार करना बेहद सुलभ और फायदे का सौदा हैं, तो वही दूसरी ओर चीन दुनियाभर के लिए एक बहुत बड़ा पूरक हैं , दुनिया भर के कई सारे उत्पादों के लिए कच्चेमाल और विनिर्मित वस्तुओं का केंद्र एशिया का यह कौना हैं।
वास्तव में यही दो मुद्दे “भारत” और “चीन” अमेरिकी सियासत के दो बड़े केंद्र हैं, काफी हद तक अमेरिकी चुनावो का दारोमदार इस कारक पर भी निर्भर करता हैं।
READ LAST PART : डोनाल्ड ट्रंप या फिर जो बाइडन , किसका जीतना भारत के लिए हैं फायदेमंद ? अमेरिकी राष्ट्रपति चुनाव 2020 की जाने खास बातें : US Election 2020 Part 1

अमेरिका में दोनों ही तरह की सोच रखने वाले लोग हैं, कुछ लोग भारत को तो कुछ चीन को पसन्द करते हैं। इस कारण ये एक मुख्य मुद्दा बन जाता हैं, इस मामले में हम Donald Trump के हवाले से बात करे तो “ट्रम्प” के चीन विरोधी तेवर दुनिया के सामने हैं, ऐसे में ये भारत के लिए एक नफे की बात हैं, आम तौर पर हमें डोनाल्ड ट्रम्प और भारतीय प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के बीच अच्छा तालमेल देखने को मिलता हैं, जो कि कही ना कहि भारत के लिए एक बड़े आर्थिक लाभ की बात हैं।
साथ ही अमेरिका से अच्छे सम्बन्धो के कारण भारत को वैश्विक राजनीति में भी एक खास तरह की मान्यता मिलती हैं, हालांकि चुनावो के बाद भी कुछ ऐसा ही हो ये कहना थोड़ा मुश्किल हैं, चूंकि ये अमेरिका हैं!
बहरहाल मौजदा तौर पे तो Donald Trump भारत के हवाले से एक अच्छे रुख वाले नेता हैं और साथ ही ये बात भी ज़ाहिर होती हैं को कहि ना कहि भारतीय मूल के अमेरिकी नागरिकों का भी समर्थन हासिल हैं, हॉऊडि मोदी जैसे कार्यक्रमो में “अबकी बार ट्रम्प सरकार” जैसे नारे इस बात का साफ सबूत हैं।
जो बाइडन का रुख :

यू तो आमतौर पर अधिकांशतः “जो बाइडन” की पार्टी डेमोक्रेटिक पार्टी का भारत विरोध छुपाए नही छुपता हैं, हाल ही में भरत्तीय संसद द्वारा कश्मीर से अनुछेद 370 को हटाने पर सरकार की आलोचना की थीं, साथ ही चीन के प्रति जो बाइडन का रुख काफी नरम हैं, जो यकीनन भारत के लिए आर्थिक और राजनीतिक तौर पर लाभदायक नही हैं, परन्तु हाल ही में उन्होंने भारत के प्रति अपने रुख में नरमी लाई हैं , यू अचानक रुख में नरमी आना भारतीय मूल के मतदाताओ के प्रति उनके राजनीतिक स्वार्थो को स्पष्ट करता हैं।
परन्तु यकीनन इस बार वो ट्रम्प की अपेक्षा इस चुनावी जंग में काफी आगे हैं, ट्रम्प सरकार की कुछ गलत नीतियां और असंतोषजनक रुख जनता को उनसे दूर लिए जा रहा हैं जो इस बार यकीनन उन्हें राजनीतिक् नुकसान पहुचायेगा और इसी बात का लाभ उनके विपक्षी यानी कि जो बाइडन को जरूर मिलेगा।
परन्तु अंतरराष्ट्रीय स्तर पर भारत का रुख सदैव से साफ रहता हैं, भारत की नज़र में अमेरिका एक सम्प्रभु और लोकतांत्रिक राष्ट्र हैं जहां शांतिपूर्ण और निष्पक्ष ढंग से चुनाव होने चाइये।
क्या कहते हैं विशेषज्ञ और दुनियाभर की रिपोर्ट्स ?
भारतीय नज़रिए से देखने वाले अधिकांश विशेषज्ञों का यही मानना हैं कि ट्रम्प की जीत भारत के लिए एक सकरात्मक चिन्ह होगा, हालांकि इस बात में कोई दोराय नही हो सकती को जब कभी भी किसी देश मे नई सरकार नए नुमाइंदों के साथ आती हैं तो कई सारी पॉलिसीज में परिवर्तन आता हैं जो किसी देश को फायदा तो किसी को नुकसान पहुचता हैं और बात जब अमेरिका से जैसे देश की हो जो कि एक वैश्विक शक्ति हैं , जिसके एक निर्णय या तब्दीली से दुनिया के दूसरे छोर पर स्थित देश की राजनीति में असर पड़ता हैं तो ये बात बेहद ही लाज़मी हो जाती हैं।
परन्तु चुनाव के पश्चात भी यथास्थिति बनी रहे ऐसा कुछ पुख्ता तौर पर कहना इतना ज्यादा आसान नही हैं।
अगर वही इन चुनावो में जो बाइडन की भी जीत होती हैं तो ऐसा बिल्कुल नही हैं कि अचानक से स्थिति में परिवर्तन आ जाएगा , या फिर सहसा से परिस्तिथिया पिछले 20 से 30 साल पीछे चली जाएंगी – ऐसा बिल्कुल नही हैं, परन्तु ये जरूर हो सकता हैं कि एक बार दोबारा तालमेल की कमी हो जाए, परन्तु स्थिति साफ तो वक्त के साथ ही होंगी।
महत्वपूर्ण बिंदू :
इस पूरे चुनावी रण के कुछ खास बिंदुओं को पढ़ें :
★ यू.एस- चीन व्यापार युद्ध १९-२० (Us-China trade war 19-20
★ जो बाइडन का चीन के प्रति रुझान , जो बाइडन के पुत्र “हंटर बाइडन” के चीनी निवेश ! (Joe biden’s china economic relations)
★ जो बाइडन का भारत विरोधी रुख (Joe biden’s anti india resolution)
★ ट्रम्प सरकार का अश्वेत नागरिकों के प्रति रुख ? | जॉर्ज फ्लॉयड प्रदर्शन मिनेपोलिस (अमेरिका) २०२०
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नमस्कार।